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बदायूं कांड इनसाइड स्टोरी: तो क्या महंत से प्रेम सम्बन्ध बना आंगनबाड़ी सहायिका की मौत की वजह?

उघैती (बदायूं)उघैती क्षेत्र में आंगनबाड़ी सहायिका के सामूहिक दुष्कर्म व हत्या का मुख्य आरोपित सत्यनारायण को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। गुरुवार से शुक्रवार तक पूछताछ में कई बातें सामने आई। जिसके बाद पुलिस की जाँच अब इस दिशा में भी बढ़ गयी है, बताया जा रहा है कि महंत का आंगनबाड़ी सहायिका सहित दो महिलाओं से प्रेम सम्बन्ध था और यही वजह सहायिका की मौत का कारण बनी। इस बीच पुलिस की लापरवाही और पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने मामले को अलग ही रंग दे दिया जिसके बाद जिला प्रशासन ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट लीक करने की मजिस्ट्रेटी जांच का आदेश भी दिया है।

आंगनबाड़ी सहायिका की हत्या और गैंगरेप के मामले में बुधवार को आरोपित वेदराम व जसपाल को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था, जबकि सत्यनारायण गांव में ही एक घर में छिपा रहा। गुरुवार रात करीब 11 बजे ग्रामीणों को पता चला तो उसे दबोच लिया, पुलिस के हवाले कर दिया। मुख्य आरोपी सत्यनारायण से आईजी रेंज राजेश पांडेय, एसएसपी संकल्प शर्मा समेत कई पुलिस अधिकारियों ने पूछताछ कर उसे जेल भेज दिया। बताया जा रहा है कि पुलिस ने दो महिलाओं से पूछताछ कर रही है। हालाँकि पुलिस ने इस मामले में अभी कोई जानकारी साझा नहीं की है लेकिन आशंका जताई जा रही है कि पुलिस इस मामले की कड़ी तक पहुँच गयी है।

ग्रामीणों के मुताबिक जिस मंदिर में सत्यनारायण पुजारी था उसे 50-60 साल पहले ठाकुर भूप सिंह ने मंदिर बनवाया था। उन्होंने अपनी क़रीब 20 बीघे ज़मीन भी मंदिर के ही नाम कर दी थी। उनके बाद रामदास जी यहाँ पुजारी बनकर आए। वो काफ़ी दिनों तक रहे, रामदास जी बहुत बड़े महात्मा थे। उनकी मूर्ति भी मंदिर में लगी है। मूल रूप से आंवला, बरेली निवासी सत्यनारायण करीबन 6-7 वर्ष पहले गाँव में आया जिसके बाद वो मंदिर में पुजारी बन गया। गाँव के पोस्टमास्टर के तौर पर काम करने वाले सतीश चंद्र बताते हैं कि सत्यनारायण पूजा-पाठ के तंत्र-मंत्र और झाड़-फूँक भी करता थाऔर उसी से संबंधित लोगों को दवाइयाँ भी देता। जिसके बाद गाँव के कई लोग उसके पास जाते थे।

गाँव के कुछ लोगों ने बताया कि मृत आंगनबाड़ी सहायिका भी अक्सर इस मंदिर में आती थी, गाँव वालों के मुताबिक़ महिला के पति को कुछ मानसिक परेशानी थी जिसके उपचार के लिए वो वह पुजारी सत्यनारायण के पास आया करती थीं, महिला के परिजन भी इस बात की पुष्टि करते हैं। पुलिस के सूत्रों के मुताबिक, पीड़ित और पुजारी के बीच तीन महीने में फोन पर 800 बार बातचीत हुई थी। पुलिस के पास दोनों की कॉल डिटेल भी है। पुजारी और पीड़ित के बीच फोन पर बातचीत की तस्दीक खुद पीड़िता की मां ने यह कहकर की थी कि हादसे वाले दिन यानी रविवार को पुजारी ने ही फोन कर पीड़ित को मंदिर बुलाया था।

लॉकडाउन से पहले बरेली के आंवला में पुजारी सत्यनारायण के भतीजे की शादी थी। वहां भी दोनों साथ गए थे। माना जा रहा है कि यहीं से दोनों सम्पर्क में आए थे। आंगनबाड़ी सहायिका से महंत की इसी नजदीकी की वजह से पहले से संपर्क में रही महिला भड़क गयी। उसने कई बार महंत सत्यनारायण को खरी खोटी सुनाते हुए देख लेने की धमकी भी दी।

घटना वाले दिन रविवार शाम को आंगनबाड़ी सहायिका मंदिर जाने की बात कहकर ही घर से गयी थी। वो जब पुजारी से मिलने मंदिर पहुंची तो इसकी खबर दूसरी महिला को लग गयी। उसने महंत को फोन कर वहां आ धमकने की बात कही जिसके बाद महंत सत्यनारायण ने आंगनबाड़ी सहायिका को वहां से जाने को बोल दिया। वापस लौटते वक्त वो मंदिर के पिछले दरवाजे से निकली, यह दरवाजा उसी कोठरी में खुलता है जिसमें कुआं था। यहीं से होते हुए आंगनबाड़ी सहायिका कुएं में वो जा गिरी। करीबन 25 फीट गहरे सूखे कुएं में पुराना सबमर्सिबल लगा था, उसी से उसके गुप्तांग, पसली, पैर में चोट लगी। जब उसके चीखने की आवा आई, तो महंत कोठरी में गया।

घबराए महंत ने अपने चेले वेदराम को बुलाया और वेदराम ने जसपाल को बुलाया। तीनों पहले इलाज के लिए महिला को लेकर चंदौसी गए। लेकिन काफी खून बह जाने और उसके साथ किसी परिजन न होने के कारण अस्पताल ने इलाज करने से मना कर दिया। बताया जाता है कि वापस लाते वक्त रास्ते में उसकी मौत हो गयी फिर तीनों उसे उसके घर ले गए और वहां दरवाजे पर छोड़कर भाग खड़े हुए।

पुलिस हिरासत में वेदराम और यशपाल

इस मामले में आरोपी यशपाल उर्फ़ जसपाल के भाई ओमपाल के मुताबिक उनका भाई किराए पर गाड़ी ले जाता है जिससे उसके परिवार का पेट पलता है। आरोपी की पत्नी चंद्रकली के मुताबिक रविवार को देर शाम तो घर पर सो रहे थे, तभी वेदराम का फोन आया, उसने एक मरीज की बात कह उन्हें बुलाया। फिर देर रात वह 12 बजे लौटे और उन्होंने बताया कि लहुलुहान महिला को अस्पताल पहुंचाने चंदौसी गए थे, वापस आकर मरीज को उसके घर छोड़ दिया। हम निर्दोष है, इस केस में सीबीआई जांच होनी चाहिए।

थानाध्यक्ष की लापरवाही से नजरअंदाज हुआ असल पहलू

जनपद से दिल्ली तक हिला देने वाले इस मामले में जिस तरह की बातें अब सामने आ रही है दरअसल वो कहीं न कहीं तत्कालीन थानाध्यक्ष की लापरवाही से नजरअंदाज होती प्रतीत होती हैं, अगर उन्होंने इस मामले में शुरुआत से ही संभाला होता तो शायद ऐसे हालत न होते। दरअसल रविवार को जनपद के उघैती थाना क्षेत्र के एक गांव में मंदिर गई 50 वर्षीय एक आंगनबाड़ी सहायिका की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। परिजनों के मुताबिक रात करीबन साढ़े 11 बजे महंत सत्यनारायण दास, उसके सहयोगी वेदराम व यशपाल उसकी लाश को दरवाजे पर छोड़ गए, पूछने पर उन्होंने जवाब दिया कि वो कुएं में गिर गयी थी। परिजनों ने मामले की सूचना पुलिस को दी तो पुलिस न महिला के घर पहुंची, न ही घटनास्थल का मुयायना किया। घटना के अगले दिन करीबन 16 घंटे बाद सोमवार शाम 4 बजे महिला का शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।

मंगलवार शाम को जब महिला की पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने आई तो उसमे बाईं पसली, बायां पैर और बायां फेफड़ा बुरी तरह क्षतिग्रस्त था। महिला के प्राइवेट पार्ट में गंभीर घाव थे, काफी खून भी निकल गया था। जिसके बाद एसएसपी संकल्प शर्मा ने इंस्पेक्टर राघवेंद्र प्रताप सिंह को सस्पेंड कर दिया। इसके बाद हल्का इंचार्ज अमरजीत सिंह भी निशाने पर आ गए। कर्तव्यहीनता के आरोप में दोनों निलम्बित पुलिसकर्मियों के खिलाफ धारा 166 ए के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया। दिल्ली निर्भया कांड के बाद इस धारा के तहत दो साल की सजा का प्रावधान है।

क्या पोस्टमार्टम रिपोर्ट से फैला भ्रम?

पुलिस की लापरवाही की वजह से इस मामले के असल पहलू नजरअंदाज कर दिया गया। तो वहीं पोस्टमार्टम रिपोर्ट से भी भ्रम की स्थिति पैदा हो गयी। महिला के प्राईवेट पार्ट की जिन चोटों को लोहे की रॉड घुसाने की चोटें माना जा रहा है, आशंका व्यक्त की जा रही है कि वो चोटें महिला के कुएं में गिरने से लगी हैं, चूँकि 25 फीट गहरे सूखे कुएं में पुराना सबमर्सिबल लगा था जिसने न सिर्फ महिला के प्राईवेट पार्ट को लहूलुहान किया बल्कि उसके बाकी अंगों को भी गंभीर चोटें दी। अब जिला प्रशासन ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट लीक करने की मजिस्ट्रेटी जांच का आदेश दिया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट लीक करने के मामले में डॉक्टर, स्वास्थ्यकर्मी, अस्पताल के लिपिक सहित कई लोग निशाने पर हैं। डीएम ने एडीएम एफआर नरेंद्र बहादुर सिंह को जांच सौंपी है। उनसे नौ जनवरी तक मांगी रिपोर्ट मांगी है।

पोस्टमार्टम में जिन निजी अंगों में चोटों का जिक्र है उसकी वजह जानने के लिए भी स्लाइड बनाई गई है, जिसे गाजियाबाद की प्रयोगशाला में भी भेजा गया है। दुष्कर्म और हत्या के आरोपित सत्यनारायण का भी सैंपल लिया गया है। उसे भी गाजियाबाद लैब में भेजा गया। डीएनए जांच कराने के साथ ही जांच टीमें हर पहलू से पर्दा हटाना चाहती हैं। वहीं पुलिस अब यह जानने में जुटी हुई है कि मुख्य आरोपी सत्यनारायण के अलावा बाकी दोनों आरोपित वेदराम व यशपाल की घटना के वक्त मौजूदगी कहां थी। इसकी भी लोकेशन निकलवाई गई है।

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