Site icon Badaun Today

बदायूं की बेटी ने किया शहर का नाम रोशन, अमेरिकी कांफ्रेस में लेंगी हिस्सा

बदायूं। बदायूं के रहने वाली निशात मंजर को अमेरिकी रिसर्च इंस्टीट्यूट की ओर से ‘एएसीआर-वूमन इन कैंसर रिसर्च’ स्कालरशिप अवार्ड से नवाजा जाएगा। निशात अब अमेरिका जाकर अपना प्रजेंटेशन देंगी। बेटी की इस उपलब्धि पर पिता सहित पूरे परिवार को गर्व है। उनका कहना है कि बेटी को कभी बेटे से कम नहीं मानना चाहिए।

आईआईटी कानपुर से बायोलॉजिकल साइंसेज एंड बायोइंजीनियरिंग (बीएसबीई) विभाग की सीनियर प्रोफेसर अतीक बुशरा और इसी विभाग की छात्रा निशात मंजर को अमेरिकी रिसर्च इंस्टीट्यूट से ‘एएसीआर-वूमन इन कैंसर रिसर्च’ स्कालरशिप अवार्ड से सम्मानित जाएगा। यह अवार्ड प्रोस्टेट कैंसर पर शोध के लिए दिया गया है। निशात 24 अक्टूबर को अमेरिका रवाना होकर कांफ्रेस में हिस्सा लेंगी। हाल ही में उनके एक शोध के जरिये पता चला था कि प्रोस्टेट में स्पिंक-1 जीन के चलते ट्यूमर होता है। यह आगे चलकर फेफड़े और पैक्रिएटिक तक को प्रभावित कर देता है जिससे इंसान का बचना मुश्किल हो जाता है। चूंकि इस प्रोस्टेट कैंसर का पता चल गया है तो वैज्ञानिक इसका इलाज भी ढूंढ पाएंगे।

निशात मंजर शहर के फरशोरी टोला मौहल्ले की रहने वाली हैं। उन्हें अवार्ड के तहत एक लाख की धनराशि प्रदान की जाएगी। निशात ने अपनी शुरूआती पढाई मौहल्ला जवाहरपुरी के होली कान्वेंट स्कूल से की है। उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन, पोस्टग्रेजुएशन के लिए एएमयू अलीगढ का रुख किया। निशात के पिता मंजर फरशोरी 20 वर्षों तक एयरफोर्स में सेवा दे चुके हैं, फिलहाल वो जिले के सखानू में पंजाब नेशनल बैंक में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने बताया कि निशात ने अपने नाम को चरितार्थ करते हुए परिवार को ‘खुशी’ दी है। उसकी इस उपलब्धि पर परिवार को गर्व हैं। निशात ने अपनी उपलब्धि का श्रेय अपने पिता दिया। उन्होंने बताया कि वो एक वैज्ञानिक बनना चाहती हैं।

क्या है प्रोस्टेट कैंसर

प्रोस्टेट कैंसर केवल पुरुषों में होता है। ज्यादातर पीड़ित 50 या इससे अधिक आयु वर्ग के होते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि धीरे-धीरे यह समस्या कब कैंसर का रूप ले लेती है, यह कोई भी पीड़ित नहीं समझ पाता। डॉक्टर इसका असर कम करने के लिए दवा जरूर चलाते हैं मगर यह कारगर साबित नहीं होती है। कारण, अभी तक प्रोस्टेट में ट्यूमर उत्पन्न होने का कारण नहीं पता चल पाया था। इससे न तो सही इलाज संभव हो पा रहा था और न ही इसकी असली दवा बनी थी। प्रोस्टेट में मौजूद स्पिंक जीन ट्यूमर का रूप धारण कर लेता है जिसके चलते कैंसर होता है। आगे चलकर यही जीन इंसान के फेफड़े और पैनक्रिएटिक, छाती और ओवैरियन कैंसर में तब्दील हो जाती है। वैज्ञानिकों ने बताया कि यह स्पिंक जीन ईजेडएच-2 प्रोटीन से तैयार होते हैं।

Exit mobile version