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उझानी: प्रशासन की उदासीनता का शिकार हुआ परिवार, नाबालिग बलात्कार में पुलिस ने साधी चुप्पी

उझानी (बदायूं)। नाबालिग युवती से बलात्कार और उसकी बड़ी बहन की मौत के मामले में प्रशासन की उदासीनता साफ नजर आ रही है। पुलिस प्रशासन आरोपियों को बचाने के लिए पीड़ित परिवार का मनोबल तोड़ने में जुटा रहा। कोतवाली पुलिस ने बलात्कार के आरोप में मेडिकल कराये बिना ही मारपीट का मामला बना दिया वहीं वरिष्ठ अधिकारियों ने भी पीडिता के परिजनों को लगातार अनसुना कर दिया। नतीजतन एक सप्ताह में घर में दूसरी वारदात हो गयी।

कस्बा उझानी में एक सप्ताह के भीतर एक ही घर में हुई दो वारदातों ने जिले को शर्मसार किया है। कोतवाली पुलिस का उदासीन रवैया जांच का विषय है लेकिन उच्च अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठना लाजमी है। गुरूवार(1 अगस्त) को नाबालिग युवती से बलात्कार के मामले में परिजनों को कोतवाली से न्याय नही मिला उसके बाद से ही परिजन जिलाधिकारी और एसएसपी दफ्तर के चक्कर काट रहे थे। 3 अगस्त को परिजन अपनी शिकायत लेकर जिलाधिकारी, एसएसपी के सामने पेश हुए, उस दौरान अधिकारी कछला महाआरती की तैयारी में जुटे हुए थे, कार्यवाही का आश्वासन देकर परिजनों को लौटा दिया गया।

परिजनों को लगातार फरार आरोपी पक्ष से जान से मारने की धमकी मिल रही थी जिसके बाद माँ-बेटी और भाई अगले दिन महाआरती की शाम कछला भी पहुंचे जहाँ जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह ने बातचीत के लिए सही जगह न होने का हवाला देकर एसएसपी से मुलाकात करने की बात कह दी। सिस्टम की मार से जूझता परिवार एसएसपी की चौखट तलक पहुंचा ही नहीं, वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने मामले को मारपीट का बताकर वापस भेज दिया। कल बुधवार को भी परिजनों ने एसएसपी दफ्तर के चक्कर काटे लेकिन मुलाकात न हो सकी, जब घर वापस लौटे तो पीडिता की बड़ी बहन पंखे से लटकती हुई मिली।

पुलिस थाने में ही खुल गयी फोरेंसिक लैब

बलात्कार के मामले में पीडिता की चिकित्सा जांच स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुरूप की जाती है। वारदात के वक्त पहने हुए पीडिता के कपड़ो को फोरेंसिक लैब भेजा जाता है जहाँ उन कपड़ो पर वीर्य, खून, योनि स्राव, लार आदि सबूतों को तलाश डीएनए का मिलान किया जाता है। मेडिकल के दौरान पीड़िता के शरीर पर चोट, घाव के निशानों को भी देखा जाता है लेकिन नाबालिग युवती से बलात्कार के मामले में कोतवाली ने फोरेंसिक लैब की भूमिका निभाई। परिजनों का आरोप है कि दरोगा शिवेंद्र भदौरिया ने युवती के कपड़ो को मंगवा कर वहीं रख लिया और कपड़ो पर दाग न होने की बात कहकर मारपीट का मामला बना दिया। युवती के भाई के मुताबिक उनसे जबरन बयान भी लिए गए। जिसके बाद परिजनों को वहां से भगा दिया गया। बड़ी बहन की मौत के बाद कोतवाल विनोद चाहर इसे परिवार का आपसी झगड़ा बता रहे हैं, उनका कहना है कि पीड़िता के कपड़े साफ सुथरे थे इसीलिए मेडिकल नही करवाया गया।

महिला पुलिसकर्मी ने पीडिता को मारे थप्पड़, करंट लगाने की दी धमकी

एक नाबालिग बच्ची से बलात्कार के मामले में कार्यवाही की बजाए पुलिस आरोपियों के साथ खड़ी हुई नजर आ रही है पीडिता का आरोप है कि उसे अलग कमरे में ले जाकर एक महिला पुलिसकर्मी ने गाल पर दो थप्पड़ मारते हुए बयान बदलने का दवाब बनाया था। पीड़िता ने जब पुलिसकर्मी की न सुनी तो बिजली का करंट लगाने की धमकी भी दी गयी।

बलात्कार मामले में अभी भी खामोश है पुलिस

बुधवार शाम को 22 वर्षीय युवती की मौत के मामले में पुलिस ने कार्यवाही का आश्वासन दिया है। पुलिस आपसी झगड़े का मामला मानते हुए बलात्कार मामले में खामोश है। वहीं बड़ी बहन की मौत के मामले में जांच में जुट गयी है। कल देर रात 11 बजे तक पीड़िता के भाई कोतवाली में मौजूद रहा, घटना के बाद एसपी सिटी और सीओ उझानी भी कोतवाली पहुंचे।  घटना के एक सप्ताह बाद भी पीड़िता का मेडिकल नही करवाया गया है।

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