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18 जगहों पर हुआ कोविड-19 वैक्सीनेशन का ड्राई रन, डीएम ने जाना मरीजों का हाल

बदायूं। कोरोना पर काबू पाने वाली काे-वैक्सीनेशन का इंतजार खत्म हाेने वाला है। सोमवार को प्रशिक्षित वैक्सीनेटर्स द्वारा जिला पुरुष एवं महिला चिकित्सालय व राजकीय मेडीकल काॅलेज सहित जनपद के 18 केन्द्रों पर दो-दो सत्रों में कोविड-19 वैक्सीनेशन के ड्राई रन का आयोजन किया गया।

कोरोना वैक्सीन के टीकाकरण को लेकर आज वैक्सीनेशन का ड्राई रन किया गया। प्रत्येक सत्र के लिए टीकाकरण कर्मियों की टीम गठित की गई थी। प्रत्येक सत्र में 15-15 लाभार्थी शामिल हुए। लाभार्थियों को कोविड-19 से बचाव की वैक्सीन लगाने का मॉक ड्रिल किया गया। सबसे पहले लाभार्थी का वेरिफिकेशन हुआ जिसमें उसके पहचान पत्रों की जाँच स्वास्थ्यकर्मी द्वारा की गई। इसके बाद वेटिंग रूम, में लाभार्थी को वेरिफिकेशन करने के उपरांत बैठाया गया तथा कोविन पोर्टल पर डाटा अपलोड किया गया। तत्पश्चात वैक्सीनेशन रूम में लाभार्थियों को टीका लगाया गया। टीका लगाने के बाद ऑब्जरवेशन रूम में लाभार्थियों को करीब आधे घंटे तक बैठाया गया। जहां 30 मिनट के भीतर टीका लगने वाले व्यक्ति पर टीके के प्रतिकूल प्रभाव पर विशेष नजर रखी गयी। इसके लिए एक स्पेशलिस्ट टीम तैनात थी जिसमें डाक्टर और पैरामेडिकल स्टॉफ शामिल रहे, जो एडवर्स इफेक्ट फालोइंग इम्युनाइजेशन किट के साथ देखरेख करते रहे। इस पूरी प्रक्रिया में किसी को भी वैक्सीन नहीं लगायी गयी बल्कि केवल वैक्सीन का मॉक ड्रिल हुआ है।

वैक्सीनेशन के 30 मिनट बाद ही लाभार्थी घर भेजा गया। यह पूरी प्रक्रिया कोरोना से बचाव के सभी प्रोटोकॉल्स जैसे मॉस्क पहनना, बार-बार 20 सेकेण्ड तक हाथ धोना और 2 गज की शारीरिक दूरी का पालन करते हुए आयोजित की गई है। डीएम ने कहा है कि टीका लगने के बाद भी हर किसी को कोविड प्रोटोकाल का पालन करना होगा। डीएम एवं एसएसपी ने जिला अस्पताल का औचक निरीक्षण कर मरीजों से उनका हालचाल भी जाना। उन्होंने मरीजों एवं तीमारदारों से पूछा कि उन्हें भोजन मिलता है, नियमित चादर बदली जाती है एवं चिकित्सक आदि समय से देखने आते है या नहीं अथवा किसी प्रकार की कोई परेशानी तो नहीं है। मरीजों एवं तीमारदारों ने व्यवस्थाओं को संतोषजनक बताया। डीएम ने भोजन की गुणवत्ता को और सुधारने, रैन बसेरा खुलवाने एवं अलाव की व्यवस्था रखने के निर्देश दिए हैं।

इस पूरी प्रक्रिया का जिला स्तर पर गठित स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने भौतिक सत्यापन भी किया। इस दौरान वैक्सीन का प्रभाव भी देखा गया। वैक्सीन के गंभीर प्रतिकूल प्रभाव और हल्के प्रतिकूल प्रभाव होने पर लाभार्थियों को किस तरह से इलाज मुहैया कराया जाएगा इसका रिहर्सल किया गया। इस पूरी गतिविधि के माध्यम से बायोमेडिकल वेस्ट का निष्पादन करने, ओब्सेर्वेशन कमरे में लाभार्थी को रखने के बाद वैक्सीन का प्रतिकूल प्रभाव देखने और उसका इलाज करने का ड्राई रन किया गया।

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