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नजमुल खां और मैनेजर बेटे के लिए शिक्षा जरूरी या नशे का कारोबार?

बदायूं। शिक्षक समाज में उच्च आदर्श स्थापित करने वाला व्यक्तित्व होता है। किसी भी देश या समाज के निर्माण में शिक्षा की अहम् भूमिका होती है। कहा जाए तो शिक्षक ही समाज का आईना होता है। छात्रों का भविष्य गढ़ने में एक शिक्षक का बहुत बड़ा हाथ होता है लेकिन वही शिक्षक नशे के कारोबार में लिप्त हो छात्र-छात्राओं पर इसका असर तो पड़ता है, समाज में गलत संदेश भी प्रसारित होता है।

जिले के ककराला में अब्दुल्ला डिग्री कॉलेज में नशे के कारोबार का प्रकरण सामने आने के बाद शिक्षक संस्थानों की कार्यशैली पर सवाल उठना लाजमी है शिक्षक का दर्जा समाज में हमेशा से ही पूज्यनीय रहा है। कोई उसे ‘गुरु’ कहता है, कोई ‘शिक्षक’ कहता है, कोई ‘आचार्य’ कहता है, तो कोई ‘अध्यापक’ या ‘टीचर’ कहता है। ये सभी शब्द एक ऐसे व्यक्ति को चित्रित करते हैं, जो सभी को ज्ञान देता है, सिखाता है और जिसका योगदान किसी भी देश या राष्ट्र के भविष्य का निर्माण करना है। एक शिक्षक या गुरु द्वारा अपने विद्यार्थियों को स्कूल में जो सिखाया जाता है या जैसा वे सीखते हैं, वे वैसा ही व्यवहार करते हैं। उनकी मानसिकता भी कुछ वैसी ही बन जाती है, जैसा कि वे अपने आसपास होता देखते हैं इसलिए एक शिक्षक या गुरु ही अपने विद्यार्थी को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। लेकिन जब कॉलेज के कमरों में ही नशा उद्योग चलता हो तो छात्र-छात्राओं पर उसका क्या असर होगा।

नजमुल जमा खां पुत्र लुकमान निवासी ककराला कई वर्षों से नशे के कारोबार में हैं। उसके पास डोडे का लाईसेंस भी था लेकिन सरकार ने उसे निरस्त करा उसके गोदाम को सील कर दिया गया था। वर्ष 2015 में  ने अपने बेटे अब्दुल्ला के नाम पर डिग्री कॉलेज खोला। नजमुल ने अब्दुल्ला खान को कॉलेज का मैनेजर बनाया है। जिसके बाद उम्मीद थी कि नजमुल द्वारा नशे के कारोबार छोड़ बच्चों का भविष्य बनाया जाएगा, कॉलेज से छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा मिलगी। लेकिन 15 जुलाई को एसपी सिटी की विशेष टीम ने छापामारी करते हुए 25 बोरा डोडा बरामद करने के साथ ही डोडा पीसने का कटर, दो बाइक, ट्रैक्टर और तीन आरोपितों को कब्जे में लिया था। पूछताछ में उन्होंने डिग्री कॉलेज के मालिक का नाम भी बताया था।

कॉलेज के कमरों से बरामद हुई बोरियों की चर्चा जिले भर में है। नजमुल जमा खां और उसका बेटा अब्दुल्ला सवालों के घेरे में हैं। शिक्षा क्षेत्र में थोड़ी बहुत गुणवत्ता उम्मीद उच्च शिक्षण संस्थानों से की जाती लेकिन अब कॉलेज के कमरों में नशे का व्यापार चल रहा है। सोचिए आपके बच्चे स्कूल-कॉलेज पढ़ने जा रहे हैं। आप बहुत खुश हैं कि वह अपना भविष्य लिख रहे हैं। जो आगे चलकर देश का भविष्य बनेंगे। लेकिन अगर आपके बेटा या बेटी का भविष्य गढ़ने वाले संस्थान नशे का अड्डा बन जाएं तो बच्चों का क्या भविष्य होगा।

शिक्षक संस्थानों के आस-पास शराब बिकने की खबरें तो अक्सर आती रही हैं, लेकिन कॉलेज में डोडा पाउडर जैसा नशीले पदार्थ का मिलना यह जाहिर करता है कि इस खेल में बहुत कुछ सार्वजानिक होना बाकी है। नजमुल का राजनैतिक रसूख, मैनेजर बेटे की आलीशान जिन्दगी और बच्चों का उजड़ता भविष्य बार-बार जिले के उच्च पुलिस अधिकारियों से सवाल पूछ रही है। नजमुल फरार है वहीं मैनेजर बेटा पुलिस पड़ताल से दूर है। मिर्जापुर, सोनभद्र के मामले में कानून व्यवस्था को लेकर पहले से ही चुनौती झेल रही प्रदेश की योगी सरकार सवालों के घेरे में है।

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