बरेली। बरेली में पुलिस ने शनिवार को मुख्य आरोपी मौलाना तौकीर रजा खां समेत आठ लोगों को गिरफ्तार कर लिया। शुक्रवार को नमाज के बाद अलग-अलग जगहों पर हिंसक प्रदर्शन हुआ था। इसमें अब तक कुल 10 एफआईआर दर्ज की गई हैं। बवाल के बाद जिले में 48 घंटे के लिए इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है।
एसएसपी अनुराग आर्य ने कहा कि जुमे की नमाज के बाद अलग-अलग जगहों पर हिंसक प्रदर्शन किया। इसमें अब तक कुल 10 एफआईआर दर्ज की गई हैं। कोतवाली में पांच, बारादरी में दो, थाना किला, प्रेमनगर और कैंट में एक-एक एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस ने मौलाना तौकीर रजा समेत आठ आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। पुलिस 39 लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है।कोतवाली में दर्ज बलवे के मुकदमे में आईएमसी प्रमुख मौलाना तौकीर रजा खां को आरोपी बनाया गया है, जबकि बाकी मुकदमों में मौलाना के समर्थक नामजद किए जा रहे हैं। फाइक एनक्लेव निवासी बरातघर संचालक फरहत और उसके बेटे को बारादरी पुलिस ने जांच के आधार पर मुकदमे में शामिल किया है। शुक्रवार रात से इन्हीं लोगों ने मौलाना को अपने घर में शरण दे रखी थी।
लोगों को मैसेज भेजकर भड़काया गया
डीआईजी अजय कुमार साहनी ने कहा कि व्हाट्सएप ग्रुप से पहले मैसेज जारी किए गए, फिर उनका खंडन किया गया। लोगों को मैसेज करके भड़काया गया। मौके पर जो लोग पहुंचे। उनके पास से भारी मात्रा में हथियार मिले। इन सारे तथ्यों को देखते हुए लग रहा है कि यह सुनियोजित साजिश है। पहले से ही तैयारी करके घटना की गई। फायरिंग और पथराव में 22 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। मौके से खोखे और पेट्रोल की बोतलें भी बरामद हुई हैं।
जिले में 48 घंटे के लिए इंटरनेट बंद
बवाल के बाद जिले में 48 घंटे के लिए इंटरनेट सेवा बंद करने के आदेश जारी किए गए हैं। बीएसएनएल क्षेत्रीय कार्यालय के जीएम पंकज पोरवाल ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि शनिवार को सोशल मीडिया पर जो पत्र वायरल हुआ है, वह सही है। हमें आधिकारिक पत्र मिल गया है। शासन के निर्देश पर इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं।
क्या है मामला?
आई लव मोहम्मद के समर्थन में मौलाना तौकीर रजा में 19 सितंबर को एलान किया था कि शुक्रवार को वह इस्लामिया इंटर कॉलेज मैदान में विरोध-प्रदर्शन करेंगे। इसके बाद कलक्ट्रेट जाकर राष्ट्रपति के नाम संबोधित सापन डीएम को सौंपेंगे। इसके लिए पुलिस-प्रशासन ने कोई अनुमति नहीं दी थी। बृहस्पतिवार रात 12 बजे अधिकारियों ने आईएमसी की ओर से जारी पत्र को सार्वजनिक किया था। इसमें कार्यक्रम स्थगित किए जाने की जानकारी दी गई थी।
वहीं शुक्रवार सुबह मौलाना तौकीर ने वीडियो जारी कर रात में जारी पत्र को फर्जी बताया। दावा किया कि विरोध-प्रदर्शन पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुरूप ही होगा। उनके बुलावे पर शहर में भीड़ जुटी पर अपराह्न साढ़े तीन बजे तक मौलाना का कोई पता न चला। जैसे ही भीड़ ने इस्लामिया इंटर कॉलेज मैदान की और मार्च करने का प्रयास किया, पुलिस ने उन्हें खलील तिराहा पर रोकने की कोशिश की। इसके कारण प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया और वाहनों और दुकानों में तोड़फोड़ की, जिससे भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई।
नौमहला मस्जिद पर हंगामा व नारेबाजी शुरू हुई तो डीआईजी अजय साहनी व एसपी सिटी मानुष पारीक वहां पहुंचे। उनके समझाने पर भीड़ वहां से हटी तो बिहारीपुर में खलील स्कूल तिराहे के पास स्थिति बेकाबू हो गई। उग्र युवकों ने एक डॉक्टर की दुकान के शीशे और बाहर खड़ी दो बाइकें तोड़ दीं। भीड़ को हावी होता देख पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। इसके बाद शाम पांच बजे तक जगह-जगह उपद्रवियों और पुलिसकर्मियों के बीच झड़प होती रही। इससे पहले श्यामगंज में भी भीड़ बेकाबू हो गई। पथराव और फायरिंग की नौबत आई तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। नावल्टी चौराहा पर आंसू गैस के गोले छोड़कर भीड़ को खदेड़ा गया। एसएसपी ने खुद माइक संभाला। लोगों से घर जाने की अपील की।
‘आई लव मोहम्मद’ विवाद किसने भड़काया?
5 सितंबर को ईद-ए-मिलाद-उन-नबी (बारावफात) था। कानपुर के रावतपुर के सैय्यद नगर में मुस्लिम समुदाय के लोग अपने घरों और आसपास के इलाकों को झालर से सजा रहे थे। इसी दौरान रामनवमी शोभायात्रा गेट के सामने आइ लव मुहम्मद(I Love Muhammad) का पोस्टर लगाया गया, इससे पहले कभी भी इस तरह का पोस्टर नहीं लगता था। इस पोस्टर को लेकर हिंदू पक्ष के कुछ लोगों ने आपत्ति जताई। पहले तो उनकी बातों को नहीं सुना गया। लेकिन, कुछ ही देर में कई लोग इकट्ठा होकर उसी पोस्टर के ठीक सामने धरने पर बैठ गए। मौके पर मुस्लिम पक्ष के भी काफी लोग जुट गए। तनाव की स्थिति बनी, तो पुलिस के बड़े अफसर मौके पर पहुंचे और समझौते में जुट गए। बातचीत के बाद स्थिति बदली और पोस्टर हटा दिया गया।
इसके बाद 5 सितंबर को मुस्लिम पक्ष के लोगों ने बारावफात का जुलूस निकाला। इसमें 100 से ज्यादा लोग शामिल हुए। इस जुलूस को लेकर रावतपुर थाने में तैनात दरोगा पंकज मिश्रा ने 8 नामजद और 10-15 अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज करवाया। पंकज ने अपनी तहरीर में बताया कि 5 सितंबर को मुस्लिम समुदाय के लोग हिंदू बस्ती से जुलूस निकाल रहे थे। तभी कुछ अज्ञात लोगों ने डंडों के जरिए दूसरे धार्मिक पोस्टर को फाड़ दिया। मौके पर तैनात पुलिसकर्मियों ने स्थिति को सामान्य कराकर जुलूस को आगे बढ़वा दिया। इसके अलावा रावतपुर में कुन्नू कबाड़ी के यहां भी जानबूझकर ‘I Love Muhammad’ का बैनर लगाकर नई परंपरा शुरू करने की कोशिश की गई है। इस कारण सांप्रदायिक टकराव और तनाव की स्थिति पैदा हुई।
दरोगा ने अपनी तहरीर में बताया कि इन दोनों घटनाओं का सीसीटीवी फुटेज और वीडियो रिकॉर्डिंग मिली। जिससे साफ हो रहा कि घटना वाले दिन जुलूस में शामिल मुस्लिम समुदाय के लोग जानबूझकर सांप्रदायिक माहौल खराब करने को लेकर ऐसे कृत्य किए गए। इससे क्षेत्र में अराजकता फैल सके और सांप्रदायिक विवाद उत्पन्न हो सके। इसलिए वीडियो और सीसीटीवी को आधार बनाकर कार्रवाई की जाए। इस केस में शराफत हुसैन, मोहम्मद सिराज, शबनूर आलम, फजलू रहमान, इकराम, इकबाल, बंटी, बाबू अली के खिलाफ नामजद और 10-15 अज्ञात के खिलाफ केस लिखा गया।
कानपुर की इस घटना के बाद मुस्लिम समुदाय के बीच यह संदेश फैल गया कि पुलिस ने ‘आई लव मोहम्मद’ का पोस्टर लगाने पर एफआईआर दर्ज की। इसके विरोध स्वरूप मुस्लिम समुदाय के लोग जुलूस निकालने लगे। इसके अलावा लोग अपनी दुकानों और घरों पर भी ‘आई लव मोम्मद’ का पोस्टर चिपका रहे हैं। जबकि सरकारी नियमों के मुताबिक धार्मिक जुलूस में किसी भी तरह के नए रीति-रिवाज को शामिल नहीं किया जा सकता। कानपुर पुलिस ने भी स्पष्ट किया है कि ‘आई लव मोहम्मद’ के बैनर के लिए किसी तरह की एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। एफआईआर दर्ज करने का मामला बैनर को नई जगह पर लगाने और दूसरे समुदाय के पोस्टर को फाड़ने से लेकर जुड़ा है।