Site icon Badaun Today

एपीएम डिग्री कॉलेज में विवाद, शिक्षक और कर्मियों ने कामकाज किया ठप

उझानी। अयोध्या प्रसाद मेमोरियल स्नातकोत्तर महाविद्यालय में मंगलवार को गहमागहमी का माहौल रहा। कॉलेज के कर्मचारियों और शिक्षकों ने निदेशक के खिलाफ तानाशाही का आरोप लगाते हुए कार्य बहिष्कार किया, आरोप लगाया कि निदेशक अनावश्यक हस्तक्षेप करते हैं हालाँकि बाद में सचिव ने लिखित आश्वासन पर मामला शांत करवा दिया।

एपीएम डिग्री कॉलेज में द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षा चल रही हैं, मंगलवार सुबह लिपिक शैलेश गुप्ता कॉलेज पहुँचे तो उन्होंने उपस्थिति पंजिका में एक दिन पहले की अपनी गैर हाजिरी दर्ज देखी। शैलेश गुप्ता का कहना है कि सोमवार को वो कॉलेज आए थे इसके बावजूद निदेशक ने उन्हें गैर हाजिर दिखाया है। उन्होंने इस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कॉलेज प्राचार्य प्रशांत वशिष्ठ से बात की। जिसके बाद प्रबंधन समिति के शिक्षक समेत तमाम कर्मचारी कॉलेज के प्रांगण में जमा हो गए, उन्होंने अपना कामकाज बंद कर दिया हालाँकि इस दौरान परीक्षाएं चलती रहीं।

वहीं एक दिन पहले फीस जमा करने आई छात्रा के बैग से 500 रुपए चोरी हो गए थे। छात्रा ने इसका आरोप एक महिलाकर्मी पर लगाते हुए निदेशक एमएस अग्रवाल से शिकायत की थी। महिलाकर्मी का कहना है कि उसने खुद को निर्दोष बताया लेकिन निदेशक ने उसकी एक न सुनी। इससे भी कर्मचारियों में नाराजगी थी।

कॉलेज के निदेशक और शिक्षक-कर्मियों में विवाद की सूचना पर प्रबंध समिति के सचिव राम प्रकाश शर्मा पहुँच गए। प्राचार्य प्रशांत वशिष्ठ ने बताया कि छात्रा के आरोपों पर उन्होंने कॉलेज के सीसीटीवी खंगाले मगर उसमें कुछ नही मिला। इसके बावजूद महिलाकर्मी को परेशान किया गया है, उन्होंने बताया कि छात्रा के आरोपों की जांच के लिए एक कमेटी गठित की जाएगी। साथ ही उन्होंने कहा कि लिपिक शैलेश गुप्ता सोमवार को कॉलेज आए थे इसके बावजूद उन्हें अनुपस्थित दिखाया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि कॉलेज में हमारा मानसिक उत्पीड़न होता है, साथ ही कॉलेज नियमों के खिलाफ परीक्षाओं के दौरान अनावश्यक हस्तक्षेप किया जाता है। 

इसके बाद सचिव राम प्रकाश शर्मा ने अपनी जेंब से छात्रा को 500 रुपए देने की बात कही, साथ ही उपस्थिति पंजिका में कलम चलाकर लिपिक की मौजूदगी दर्ज कर दी। हालाँकि इसके बाद भी शिक्षक और कर्मचारी शांत नहीं हुए और लिखित आश्वसान की मांग पर अड़ गए।

उनकी नाराजगी को देखते हुए सचिव ने ‘परीक्षा अवधि के दौरान सर्वाधिकार प्राचार्य के आधीन और किसी अन्य व्यक्ति हस्तक्षेप न करने, छात्र-छात्राओं के प्रवेश पर बिलम्ब शुल्क के लिए अभिलेखों से प्रवेश फार्म न निकालने, शिक्षकों और कर्मियों से द्वेषपूर्ण व्यवहार न करने और प्राचार्य द्वारा किसी भी व्यक्ति को मौखिक मौखिक रिलीव करने पर उसे जबरन आकस्मिक अवकाश के लिए बाध्य नही किया जाए, प्राचार्य के आदेश पर ही कार्यालय के काम होने और किसी भी आरोप पर कर्मी को सफाई का मौका दिया जाए’ लिखित आश्वासन दिया तब शिक्षक-कर्मी अपने कामकाज पर लौट गए। उधर निदेशक एमएस अग्रवाल ने बताया कि घटनाक्रम उनके संज्ञान में नहीं है, सचिव मामले की जानकारी दे सकते हैं।

Exit mobile version