उझानी(बदायूं)। उझानी नगर क्षेत्र में संचालित तीन निजी स्कूलों पर शिक्षा विभाग ने शिकंजा कस दिया है। खंड शिक्षा अधिकारी ने बिना विभागीय मान्यता के तीनों स्कूल को तत्काल प्रभाव से बंद करने का आदेश जारी किया है।
खंड शिक्षा अधिकारी प्रशांत सिंह राठौर ने लिटिल पर्ल स्कूल, स्काई विंग्स प्ले स्कूल, किड्स प्लेनेट स्कूल को भेजे गए नोटिस में कहा गया है कि तीनों विद्यालय बिना मान्यता के चल रहे हैं। इन संस्थानों को अब तक विभाग से किसी प्रकार की स्वीकृति प्राप्त नहीं हुई है, बावजूद इसके विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है, जो उत्तर प्रदेश नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 तथा बेसिक शिक्षा अधिकारी नियमावली 2011 के प्रावधानों का सीधा उल्लंघन है। अधिनियम की धारा 18(1) के तहत कोई भी व्यक्ति या संस्था राज्य सरकार या स्थानीय प्राधिकरण से मान्यता प्राप्त किए बिना विद्यालय स्थापित या संचालित नहीं कर सकती। वहीं धारा 18(2) के अंतर्गत बिना मान्यता के विद्यालय संचालित करने पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना तथा दोहराने पर प्रतिदिन दस हजार रुपये तक का दंड निर्धारित है।
बीईओ प्रशांत सिंह राठौर ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि तीनो स्कूलों को तत्काल प्रभाव से बंद करें और अपने विद्यार्थियों को मान्यता प्राप्त स्कूलों में स्थानांतरित कराएँ। साथ ही स्टाम्प पेपर पर शपथपत्र के साथ यह प्रमाणित करे कि विद्यालय की मान्यता प्राप्त होने तक इनका संचालन नहीं किया जाएगा।
शिक्षा विभाग ने अभिभावकों से भी अपील की है कि वे अपने बच्चों का दाखिला केवल उन्हीं विद्यालयों में कराएँ जिनके पास विभागीय मान्यता प्रमाणपत्र उपलब्ध हो। बिना मान्यता वाले विद्यालयों में प्रवेश कराने से विद्यार्थियों के भविष्य पर संकट आ सकता है क्योंकि ऐसे विद्यालयों की न तो बोर्ड से संबद्धता होती है और न ही उनके प्रमाणपत्र वैध माने जाते हैं।
पंजाबी कॉलोनी में चल रहें हैं तीनो स्कूल
जिन तीन स्कूलों लिटिल पर्ल, स्काई विंग्स प्ले और किड्स प्लेनेट प्ले को शिक्षा विभाग ने नोटिस जारी किया है, वे सभी उझानी नगर की पंजाबी कॉलोनी क्षेत्र में संचालित हो रहे हैं। स्कूल आवासीय मकानों से चलाए जा रहे हैं, जहाँ न तो भवन संरचना शैक्षणिक संस्थान के मानकों के अनुरूप है, न ही सुरक्षा संबंधित नियमों का पालन किया जा रहा है। इन संस्थानों में सैकड़ों बच्चे रोजाना आते हैं, संचालक वर्षों से शुल्क वसूल कर इन स्कूलों को चला रहे हैं जबकि विभागीय मानकों और शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत ऐसे संचालन पर पूरी तरह प्रतिबंध है।
