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जब चुनाव आयोग ने दिया था हैकिंग का चैलेंज, ईवीएम पर हल्ला मचाने वाले भाग खड़े हुए थे

by Badaun Today Staff
March 7, 2022
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जब चुनाव आयोग ने दिया था हैकिंग का चैलेंज, ईवीएम पर हल्ला मचाने वाले भाग खड़े हुए थे
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के लिए आज आखिरी राउंड की वोटिंग हो रही है। वोटिंग खत्म होते ही प्रदेश की सभी 403 सीटों के नतीजे इवीएम में लॉक हो जाएंगे। यूपी समेत 5 राज्यों के चुनावी नतीजे 10 मार्च को आएंगे। हालाँकि इस चुनाव में भी बार बार इवीएम पर सवाल उठाए गए हैं, साथ ही 10 मार्च को राजनैतिक दलों के आंकलन के मुताबिक नतीजा न आने पर ईवीएम में छेड़छाड़ का मुद्दा जोर-शोर से उठ सकता है। इससे पहले यह जानना भी जरूरी है जब चुनाव आयोग ने हैकिंग का चैलेंज दिया तो महज दो पार्टियां सामने आई थीं।

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2017 यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को प्रचंज बहुमत मिला था। विपक्ष दलों में बसपा और सपा-कांग्रेस के गठबंधन को चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद बसपा सुप्रीमो मायावती और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने खुलेआम चुनाव आयोग को चुनौती देते हुए बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग की। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की पार्टी की ओर से भी ईवीएम टेपरिंग के मुद्दे पर पूरा कैंपेल चलाकर बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग की गई।

आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज ने विधानसभा के एक विशेष सत्र में ईवीएम को हैक करने का एक डेमो भी दिया था। डेमो में दावा किया गया कि मदर बोर्ड को बदला जा सकता है या फिर कोड बदलकर वोटिंग प्रभावित हो सकती है। केजरीवाल ने दावा किया था कि अगर चुनाव आयोग की ओर से आम आदमी पार्टी को ईवीएम दी जाती है तो 90 सेकंड के भीतर इसे टेंपर करके दिखाया जा सकता है।

इसके बाद चुनाव आयोग ने ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायतों को लेकर आयोजित सर्वदलीय बैठक के बाद सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों को खुली चुनौती में शामिल होने के लिये आमंत्रित किया था। चुनाव आयोग ने खुला चैलेंज दिया था कि राजनीतिक दल का कोई भी विशेषज्ञ, वैज्ञानिक और टेक्नीशियन एक हफ्ते या 10 दिन के लिए आकर मशीनों को हैक करने की कोशिश कर सकते हैं।

चुनाव आयोग ने चैलेंज के चलते 14 ईवीएम मशीनों को हैक करने के लिए रखा था। ईवीएम चैलेंज के लिए चुनाव आयोग ने यूपी, पंजाब और उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में इस्तेमाल हुई इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को अपने स्ट्रॉन्ग रूम से निकलवाकर लाया था। लेकिन 3 जून को आयोजित होने वाली चुनौती को स्वीकार करने की 26 मई को निर्धारित समय सीमा में सिर्फ दो दलों (एनसीपी और सीपीएम) ने ही आवेदन किया था। विधानसभा में ईवीएम हैकिंग का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी भी इस चैलेंज में शामिल नही हुई।

इस चैलेंज के लिए सीपीआईएम और एनसीपी के प्रतिनिधियों को चार-चार ईवीएम मशीन दी थी। इस चैलेंज के दो घंटे बाद ही दोनों दलों के प्रतिनिधियों ने साफ कर दिया है कि वह सिर्फ प्रक्रिया समझने आए थे और उन्होंने चुनाव आयोग की चुनौती स्वीकार करने से इनकार कर दिया। सीपीएम के प्रतिनिधिमंडल ने मशीन की सुरक्षा से जुड़े तमाम प्रक्रिया को ध्यान से देखा, वहीं एनसीपी की टीम ने आयोग की टेक्निकल कमिटी के विशेषज्ञों के साथ सवाल-जवाब भी किया।

भारत में ईवीएम से छेड़छाड़ क्यों नहीं संभव है

  • 2013 के बाद बनी मशीनों में अतिरिक्त सेफ गार्ड हैं। सेल्फ डायग्नोस्टिक सिस्टम एंड टेंपर डिटेक्शन प्रोगाम भी शामिल हैं।
    EVM पूर्ण स्वदेशी है, कहीं कोई विदेशी पार्ट या सॉफ्टवेयर नहीं है।
  • हर माइक्रो चिप का यूनिक आईडी होता है और हर चिप को डिटेक्ट किया जा सकता है और टेंपर की कोशिश को भी डिटेक्ट किया जा सकता है।
  • मशीनें चुनाव के पहले, बाद में और हमेशा सख्त सुरक्षा में रहती हैं। इसे किसी को छूने या पास जाने की इजाजत नहीं होती है. राजनीतिक दलों के नुमाइंदों की मौजूदगी में स्ट्रॉन्ग रूम खोला जाता है।
  • भारत में इस्तेमाल हो रही दुनिया भर में इस्तेमाल हो रही EVM से कई गुना विकसित, सुरक्षित और पारदर्शी हैं। हमारी ईवीएम सबसे आगे है, जिसका डेटा आंतरिक तौर पर सेफ है।
  • EVM स्टैंड अलोन मशीनें हैं, इनमें कोई फ्रीक्वेंसी रिसीवर नहीं है, इनका वायरलेस, वाई-फाई, ब्लूटूथ या इंटरनेट से जुड़ाव नहीं है।
  • चुनाव के दिन इन भी पोलिंग एजेंट्स के सामने मशीनों के जरिए मॉक पोल होता है।
  • चुनाव आयोग ने बताया कि जर्मनी में तो कोर्ट ने ही वहां ईवीएम मशीनों को खारिज किया था जबकि भारत में सुप्रीम कोर्ट ने भी EVM की तारीफ की है।
  • USA में 15 राज्यों में भी वीवीपीएटी (वोटर वेरीफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) का इस्तेमाल होता है, जबकि भारत में 100 फीसदी VVPAT का इस्तेमाल होता है।

पहले भी हो चुका है ऐसा आयोजन
इससे पहले भी सन 2004 में चुनाव आयोग ने ऐसी ही एक कार्यशाला आयोजित किया था।उसमें भी कोई ईवीएम को हैक या टेंपर नहीं कर पाया था। तब भी बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी समेत कई दिग्गजों ने बुरी तरह चुनाव हारने के बाद ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए थे। चुनाव आयोग ने बताया कि 2009 में भी ईवीएम की विश्वसनियता पर सवाल उठाए जाने के बाद हमने खुला चैलेंज दिया था, लेकिन कोई इसे साबित नहीं कर सका।

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