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नरभक्षी राजा को उम्रकैद की सजा, इंसानी खोपड़ी का पीता था सूप

by Badaun Today Staff
May 23, 2025
in अपराध, उत्तर प्रदेश
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नरभक्षी राजा को उम्रकैद की सजा, इंसानी खोपड़ी का पीता था सूप
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लखनऊ।  उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सीबीआई अदालत ने शुक्रवार को आदमी को मारकर खोपड़ी का सूप पीने वाले राजा कोलंदर और उसके साले वक्षराज को उम्रकैद की सजा सुना दी है। राजा की पत्नी फूलन देवी सहित 4 लोगों को भी इसी मामले में पहले ही उम्रकैद की सजा सुनाई जा चुकी है।

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लखनऊ एडीजे कोर्ट नंबर-5 के जज रोहित सिंह ने शुक्रवार को उम्रकैद की सजा का ऐलान किया। इस मामले में राजा कोलंदर और उसके साथी बच्छराज कोल को 22 वर्षीय मनोज कुमार सिंह और उनके ड्राइवर रवि श्रीवास्तव की अपहरण और हत्या के आरोप में सजा का ऐलान किया है। इससे पहले इलाहाबाद कोर्ट ने 1 दिसंबर 2012 को रामनिरंजन उर्फ राजा कोलंदर को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने उसे पत्रकार धीरेंद्र सिंह समेत कई लोगों की हत्या का दोषी करार देते हुए इसे रेयरेस्ट ऑफ दी रेयर केस माना था। उसके खिलाफ यह केस करीब 12 साल तक चला था।

क्या है मामला?

मृतक मनोज और रवि टाटा सूमो से लखनऊ-इलाहाबाद रोड पर सवारियों को ढोने का काम थे। 23 जनवरी 2000 को उन्होंने चारबाग रेलवे स्टेशन के पास से छह यात्रियों को बिठाया, जिनमें एक महिला भी थी। आखिरी बार उनकी लोकेशन रायबरेली के हरचंदपुर में चाय की दुकान पर मिली थी। वहां से वे लापता हो गए। तीन दिन तक जब उनका कोई पता नहीं चला तो नाका थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई। मनोज और रवि की पुलिस ने खोज शुरू की। दोनों का कहीं पता नहीं लग सका। बाद में दोनों के क्षत-विक्षत शव प्रयागराज के शंकरगढ़ के जंगलों से बरामद किए गए।

पत्रकार की भी कर दी थी हत्या

प्रयागराज में 19 दिसंबर 2000 को पत्रकार धीरेन्द्र प्रताप सिंह के अपहरण और हत्या के मामले में राजा कोलंदर तथा उसके साथियों की गिरफ्तारी हुई। पुलिस को दोषी के पास मृतक मनोज कुमार सिंह की टाटा सूमो यूपी 32 जेड 2423 तथा उसके घर से मृतक रवि श्रीवास्तव का कोट बरामद हुआ, जिसे मृतकों के परिजन ने पहचाना। इससे मनोज और रवि की हत्या का खुलासा हुआ। 

इसीलिए की थी पत्रकार की हत्या

पत्रकार धीरेन्द्र प्रताप सिंह की हत्या मामले में राजा कोलंदर तथा बच्छराज कोल को अपर सत्र न्यायधीश इलाहाबाद द्वारा 30 नवंबर 2012 को उम्र कैद की सजा सुनाई जा चुकी है। दरअसल एक मामले में पत्रकार धीरेंद्र सिंह के भाई ने राजा कोलंदर को नामजद करते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी। तभी उसने तय कर लिया था की धीरेंद्र की हत्या करनी है। पुलिस का मानना था कि पत्रकार धीरेंद्र सिंह को राजा कोलंदर की काली करतूतों के बारे में पता चल गया था। इसी वजह से उसकी हत्या की गई।

राजा कोलंदर ने पुलिस को बताया कि उसने पत्रकार धीरेंद्र सिंह को अपने पिपरी फार्म हाउस पर बुलाया। सर्दी थी, इसलिए अलाव जला रखा था। धीरेंद्र अपनी बाइक से पहुंचे। वे अलाव के पास बैठे गए। इसी दौरान राजा कोलंदर के साले वक्षराज ने गोली मार दी। मौके पर ही धीरेंद्र सिंह ने दम तोड़ दिया। राजा कोलंदर और उसका साला वक्षराज दोनों धीरेंद्र के शव को टाटा सूमो से लेकर मध्यप्रदेश की सीमा में पहुंचे। पहले धीरेंद्र का सिर और लिंग काट दिया। लिंग और धड़ को वहीं खेत में दफना दिया। जबकि उसका सिर एक पन्नी में लपेटकर रीवा के बाणसागर तालाब में फेंक दिया।

धीरेंद्र मर्डर में जांच के दौरान पुलिस को राजा कोलंदर के घर से तलाशी में डायरी मिली। इस डायरी ने 14 हत्याओं का राज खोल दिया। पुलिस ने जब राजा कोलंदर की डायरी के पन्ने पलटने शुरू किए तो सन्न रह गए। पुलिस ने डायरी के आधार पर उससे पूछताछ की तो पूरी कहानी सामने आ गई। उसके फॉर्म हाउस से अशोक कुमार, मुइन, संतोष और काली प्रसाद के नरमुंड बरामद हुए, इसकी हत्या का जिक्र डायरी में था। पूछताछ में पता चला कि राजा कोलंदर ने कुल 14 लोगों का कत्ल किया था। वह जरा-जरा सी बात पर लोगों का खून कर देता था।

इस नरपिशाच की हैवानियत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि उसने आर्डिनेंस फैक्ट्री के साथी कर्मचारी काली प्रसाद श्रीवास्तव को इसलिए मौत के घाट उतारा था, क्योंकि वह कायस्थ बिरादरी का था। उसका मानना था कि कायस्थ लोगों का दिमाग काफी तेजी से काम करता है। वह कई दिनों तक उसकी खोपड़ी के हिस्से को भूनकर खाता रहा। उसके दिमाग को उबालकर सूप बनाकर पीता था।

कौन है राजा कोलंदर?

राजा कोलंदर का इतिहास आपराधिक था, उसने पहली हत्या 1998 में की थी। उसके बाद उसका खौफनाक सफर पत्रकार की हत्या तक पहुंचा।  इस सजा के बाद लखनऊ की अदालत ने एक भयानक सीरियल किलर की कहानी को आखिरकार खत्म कर दिया है, जो लंबे समय तक लोगों के लिए एक रहस्य और डर का कारण बना था। 

राजा कोलंदर प्रयागराज के शंकरगढ़ का निवासी है। उसका असली नाम राम निरंजन कोल है। वह नैनी स्थित केंद्रीय आयुध भंडार (सीओडी) छिवकी में कर्मी था। राम निरंजन ब्याज पर रुपये देने के साथ ही राजनीति के मैदान में भी सक्रिय था। उसकी पत्नी जिला पंचायत सदस्य चुनी गई थी। उसने अपनी आर्थिक स्थिति बेहतर बना ली। इस कारण लोग उसे राजा कहने लगे। राजा कोलंदर ने अपने बड़े बेटे का नाम ‘अदाल’त और छोटे बेटे का नाम ‘जमानत’ रखा है। इतना ही नहीं, पत्नी गोमती का नाम भी बदलकर फूलनदेवी कर दिया था। उसकी एक बेटी भी है। बताया जाता है कि बड़ा बेटा अदालत एक स्कूल में शिक्षक है जबकि छोटा बेटा जमानत प्रावइेट काम करता है। बेटी की शादी हो चुकी है और वह अपने ससुराल में परिवार के साथ रहती है।

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