फर्रुखाबाद/कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर में ईओडब्ल्यू इंस्पेक्टर की हत्या के 27 साल पुराने मुकदमे में आरोपी बसपा नेता अनुपम दुबे को उम्र कैद की सजा सुनाई गयी है। मामले में अनुपम समेत तीन लोगों पर हत्या का आरोप लगा था। मुकदमे की सुनवाई के दौरान दो अभियुक्तों की मौत हो चुकी है।
एडीजीसी अरविंद डिमरी ने बताया कि मुकदमे में कुल 22 गवाह कोर्ट में पेश किए गए थे। अभियोजन की ओर से 18 गवाह कोर्ट में पेश हुए थे जबकि कोर्ट विटनेस के रूप में भी चार गवाहों ने अपने बयान दर्ज कराए थे। इनमें से घटना के समय ट्रेन में मौजूद रहे एक गवाह मुलायम सिंह की गवाही महत्वपूर्ण रही। इसे चश्मदीद गवाह के रूप में कोर्ट में पेश किया गया था। अरविंद डिमरी ने बताया कि इस मामले अन्य दो आरोपियों में नेम सिंह उर्फ बिलइया मुठभेड़ में मारा जा चुका है जबकि तीसरे अभियुक्त कौशल की भी मौत हो गई थी।
क्या है पूरा मामला?
मेरठ के लौहार सराय निवासी इंस्पेक्टर रामनिवास यादव की हत्या 14 मई 1996 को शाम कानपुर के रावतपुर और अनवरगंज स्टेशन के बीच की गई थी। फर्रुखाबाद में तैनाती के दौरान दर्ज एक मुकदमे की विवेचना राम निवास ने की थी। इसी मुकदमे में गवाही देने के लिए राम निवास फर्रुखाबाद गए थे। ट्रेन से लौटते समय रास्ते में मौका पाकर ट्रेन में ही उनकी हत्या कर दी गई थी। इस मामले में जीआरपी थाने में अनुपम दुबे के अलावा नेम कुमार उर्फ बिलैया और कौशल के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया था।
पिता की हत्या करवाने का था शक
पुलिस की विवेचना में पता चला था कि फर्रुखाबाद में तैनाती के दौरान अनुपम दुबे के खिलाफ दर्ज एक मुकदमे की विवेचना कर रहे इंस्पेक्टर राम निवास यादव की स्थानांतरण के बाद ईओडब्ल्यू में तैनाती हुई थी। एक गवाह ने बयान में कहा था कि अनुपम दुबे, उसके पिता महेश दुबे, नीलू वाजपेई, विनीत जीप से जा रहे थे तभी जावेद की पत्नी शबाना को टक्कर लगने से उसे चोटें आई थीं। मौके पर भीड़ ने घेर लिया तो महेश दुबे ने फायर कर दिया, जिससे भीड़ और उत्तेजित हो गई और महेश दुबे की हत्या कर दी थी। अनुपम को भी चोटें आई थीं। मौके पर इंस्पेक्टर रामनिवास यादव भी फोर्स के साथ मौजूद थे इसलिए अनुपम को शक था कि इंस्पेक्टर ने ही उसके पिता महेश की हत्या करवाई है।
वहीं अनुपम के गैर हाजिर रहने पर सीएमएम कोर्ट ने 2021 में कुर्की आदेश जारी कर दिया था। इसके बाद अनुपम फर्रुखाबाद में दर्ज एक दूसरे मुकदमे में आत्मसमर्पण कर जेल चला गया था। फिर फर्रुखाबाद जेल में उसका वारंट तामील कराकर उसे कोर्ट में हाजिर किया गया था।
कौन है अनुपम दुबे?
फतेहगढ़ कोतवाली क्षेत्र के मुहल्ला कसरट्टा निवासी माफिया अनुपम दुबे के खिलाफ 63 मुकदमे दर्ज हैं। उसके खिलाफ पहला मुकदमा वर्ष 1987 में मारपीट का दर्ज हुआ था। उसके बाद जानलेवा हमले का मुकदमा दर्ज कराया गया था। वर्ष 1991 और 1994 में हत्या के दो मुकदमे दर्ज हुए। इसके बाद मुकदमे दर्ज कराए जाते रहे। गिरफ्तारी होने से पहले उनके खिलाफ 41 मुकदमे दर्ज थे। जिनमें गैंगस्टर, गुंडा एक्ट, एनडीपीएस जैसे शामिल हैं। जेल जाने के बाद अनुपम के खिलाफ पीड़ित मुकदमा दर्ज कराने को सामने आए। इसके बाद धोखाधड़ी, अपहरण जैसे मुकदमे दर्ज कराए गए।
113 करोड़ की सम्पत्ति कुर्क कर चुकी है योगी सरकार
90 के दशक से लगातार अपराध में शामिल अनुपम दुबे ने बहुत बड़ी संपत्ति अर्जित की है। बीते दिनों फर्रुखाबाद में प्रशासन ने अनुपम दुबे और उसके परिवार की 10 करोड़ से अधिक की संपत्ति जिला प्रशासन ने कुर्क की थी। अब तक बसपा नेता और उनके परिवार की करीब 113 करोड़ से अधिक की संपत्ति कुर्क की जा चुकी है।
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