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बेजुबान के साथ क्रूरता: महिला ने 9 पिल्लों को तालाब में फेंका, पांच की मौत, चार लापता

बिसौली। कोतवाली क्षेत्र में गुरुवार सुबह एक महिला ने नौ पिल्लों को तालाब में फेंक दिया। कड़काड़ती ठंड में कुछ ही देर में पिल्लों की मौत हो गयी, ग्रामीणों ने पांच पिल्लों के शव को तालाब से निकाला जबकि चार लापता हैं। घटना की जानकारी पर पशु प्रेमी मौके पर पहुँच गए। महिला के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। वहीं पिल्लों के शव पोस्टमार्टम के लिए भेजे गए हैं।

बसई गांव के रहने वाले अनीता पत्नी सूर्यकांत के घेर में कुतिया ने पिल्लों को जन्म दिया। रात में पिल्लों के शोर करने से सूर्यकांत की पत्नी अनीता परेशान हो गई। आरोप है कि गुरुवार सुबह अनीता ने नौ पिल्ले गांव के तालाब में फेंक दिया। आरोप है कि ग्रामीणों ने जब महिला को रोकने की तो वो गाली-गालौच पर उतर आई। इसी बीच किसी ने पीएफए के जिला अध्यक्ष विकेंद्र शर्मा को घटना के बारे में बताया। इस पर बिसौली निवासी पशु प्रेमी विभु शर्मा भी घटनास्थल पर जा पहुंचे।

सूचना पर पुलिस भी पहुँच गयी। जिसके बाद स्थानीय ग्रामीण ने पांच पिल्लों को तालाब से निकाला लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी जबकि चार पिल्लों का पता नहीं चला। इस दौरान व्याकुल माँ तालाब से निकाले गए मृत पिल्लों को पुचकारती हुई नजर आई। फिलहाल पुलिस ने शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।

एनिमल्स संस्था ने करवाई एफआइआर
घटना सामने आने के बाद पीपल फॉर एनिमल्स संस्था ने महिला के खिलाफ शिकायत दी है। जिसके बाद उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। उधर पशु प्रेमी ने महिला से इस हरकत की वजह पूछी तो वह बहस करने लगी।

क्या है पशु क्रूरता निवारण अधिनियम
देश में पशुओं के खिलाफ क्रूरता को रोकने के लिए साल 1960 में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम लाया गया था। साथ ही इस एक्ट की धारा-4 के तहत साल 1962 में भारतीय पशु कल्याण बोर्ड का गठन किया गया। इस अधिनियम का उद्देश्य पशुओं को अनावश्यक सजा या जानवरों के उत्पीड़न की प्रवृत्ति को रोकना है। मामले को लेकर कई तरह के प्रावधान इस एक्ट में शामिल हैं। जैसे- अगर कोई पशु मालिक अपने पालतू जानवर को आवारा छोड़ देता है या उसका इलाज नहीं कराता, भूखा-प्यासा रखता है, तब ऐसा व्यक्ति पशु क्रूरता का अपराधी होगा।

सजा का प्रावधान
इसके अलावा अगर कोई किसी पशु को मनोरंजन के लिए अपने पास रखता है और उसके साथ क्रूरता का व्यवहार करता है, तो वह भी अपराध है। ये सभी संज्ञेय और जमानती अपराध होते हैं, जिनकी सुनवाई कोई भी मजिस्ट्रेट कर सकता है। ऐसे अपराधों के लिए कम से कम 10 रुपये से लेकर दो हजार रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। साथ ही अधिकतम 3 साल की सजा हो सकती है।

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