बदायूं। जिले में अपनी नवजात बच्ची को पाने की तलाश में भटकती दंपति को शनिवार को आख़िरकार बच्ची वापस मिल गयी है। हालाँकि जांच में पता चला कि दंपति ने अपनी मर्जी से ही नवजात को एक दूसरी दंपति को सौंप दिया था।
संभल जिले की बहजोई निवासी मौसमी पत्नी कामिल बदायूं में अपनी रिश्तेदारी में आई थी। उसके दर्द उठा तो अस्पताल ले जाया गया जहां गुरुवार(17 अक्टूबर) को उसकी डिलीवरी हुई। यहां मौसमी ने नवजात कन्या को जन्म दिया। लेकिन डिलीवरी के अगले ही दिन उसकी बच्ची गायब हो गयी। उसके पति कामिल ने आरोप लगाया कि अस्पताल की एक नर्स ने नवजात बच्ची को सरकारी मदद दिलाने का आश्वासन दिलाकर कागजात पर अंगूठा लगवा लिया। उसके विरोध करने के बावजूद उसकी बच्ची छीन ली गयी। बच्ची की आस में दंपति ने पिछले एक सप्ताह से रात को बंद दुकानों की गैलरी, स्टेशन को अपना आसरा बनाया लिया।
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कामिल ने जब इस मामले में जिलाधिकारी, एसएसपी से शिकायत की हडकम्प मच गया। पुलिस तहकीकात में सामने आया कि दंपति ने अपनी कमजोर आर्थिक स्थिति का हवाला देकर जिला अस्पताल की सफाईकर्मी कमलेश को किसी जरूरतमंद को बच्ची सौंपने का आग्रह किया था। जिसके बाद कमलेश ने कागजी कार्यवाई के बाद अपने निस्तान भतीजे राजीव को बच्ची दिलवा दी थी। इसके बदले में उन्हें 4 हजार 2 सौ रुपए भी मिले थे। लेकिन एक दिन बाद ही बच्ची के प्यार में दंपति का मन बदल गया। जिसके बाद दंपति ने बच्ची को पाने के लिए उसके जबरन बेचे जाने की कहानी बनाकर शिकायत कर दी।
वहीं आज शनिवार को दंपति को सरकारीगंज पुलिस चौकी बुलाया गया। वहीं उस परिवार को भी बुलाया, जिस पर नवजात बच्ची खरीदने का आरोप लगा था। पुलिस ने बच्ची को वापस दंपती को दिलवा कर दोनों पक्षों में समझौता करा दिया।
इस मामले में प्रभारी सीएमओ डॉ. मंजीत सिंह ने जांच पड़ताल कर दोषियों पर कार्यवाही की बात कही है, उन्होंने कहा कि बच्चा गोद लेने और देने की पूरी प्रक्रिया बाल कल्याण समिति की निगरानी में होती है। इस तरह किसी का बच्चा किसी को दे देना अपराध है।