बदायूं। कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच हो रहे त्रिस्तरीय चुनाव में शासन की गाइडलाइन का असर नजर नहीं आया। जनपद में नामांकन प्रक्रिया के दौरान कोरोना संक्रमण पर रोकथाम के तमाम सरकारी दावे फेल हो गए। प्रत्याशियों ने सामाजिक दूरी और कोरोना गाइडलाइन का जमकर मखौल उड़ाया। कोविड संक्रमण पर नसीहत देने वाले जिम्मेदार सत्ताधारी दलों के नेताओं ने भी जमकर नियमों की धज्जियां उड़ाई।
नामांकन के पहले दिन ही विकास खंड कार्यालयों पर मेले सरीखा नजारा दिखाई दिया। समर्थकों के साथ प्रधानी, क्षेत्र पंचायत सदस्य और ग्राम पंचायत सदस्य पदों के नामांकन करने के लिए दावेदार अपने वाहनों में सवार होकर ब्लॉक मुख्यालयों पर पहुंचे। हालाँकि गेटों पर हाथ सैनिटाइज कराने के साथ थर्मल स्कैनर से तापमान मापा जा रहा था। लेकिन अंदर पहुंचने पर प्रत्याशियों ने लाइनों में न तो दो गज की दूरी बनवाई गई और न ही किसी ने उन्हें मास्क के लिए टोका। नामांकन के समय फिजिकल डिस्टेंस यानी शारीरिक दूरी का पालन कराने के लिए गोले भी नहीं बनाए गए। सब एक दूसरे से सट कर खड़े हुए नजर आए।
ब्लॉक के बाहर नामांकन पत्र तैयार करने के लिए बैठे अधिवक्ता भी कोरोना संक्रमण के प्रति लापरवाह नजर आए। वहीं नामांकन से पहले राजनैतिक दलों के कैम्प-कार्यालय में भी भारी भीड़ मौजूद रही। नामांकन के पहले दिन पार्टी का दम दिखाने के फेर में शारीरिक दूरी तो नदारद ही रही, मास्क लगाने वालों की संख्या भी कम रही। कम से कम राजनीतिक दलों के वरिष्ठ लोगों को इस तरफ जरूर ध्यान देना चाहिए था लेकिन वो भी इसे लेकर बेपरवाह दिखाई दिए।
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